
झील में झांका
यहाँ से .
मुस्कुराते चेहरे ने मुझे घूरा ,
मैंने भी कोशिश की ।
एक पत्ता गिरा ऊपर से ,
मै सकपका गयी ,
झील फिर से हँसी ।
अरे ..वो तो सूखा पत्ता था
बम नहीं।
थरथराते होठो से
फिर से कोशिश की .
क्या ? तूने सुना?
मेरा मुख्य सवाल था ।
हां ,जब तेरी आँखों की बूंदे
मुझमे समा गयी ,
मेरा सवाल था -क्या होगा ?
वह बोली--
" फिर से बच्चे माँ से पूछेंगे -
''माँ पापा कब आयेंगे ?''
सुनकर मैंने उसे देखने की कोशिश की ,
आँखों में पानी का परदा था।
वह बोली ..
" सीमा के उस पार वाले बच्चे भी अपनी
माँ से यही सवाल करेंगे।
निस्तेज आँखें उसे घूर रही थीं ।
अनजाने डर से ,
हवा ने मुझे जोर से हिलाया,
पत्तों के साथ।
शायद मुझे अभी....
मै डरी नहीं ,आत्मा बोली ..
" अरे वह तो आराम से सो रहा है "
अपनी कुर्सी पर ।
झील अब जोर से हस रही थी मुझ पर ,
तब मैंने कुछ सोचा -
मेरा डर मर चुका था ,
हां हां ख़त्म करना है ,
ये खून की
यहाँ से .
मुस्कुराते चेहरे ने मुझे घूरा ,
मैंने भी कोशिश की ।
एक पत्ता गिरा ऊपर से ,
मै सकपका गयी ,
झील फिर से हँसी ।
अरे ..वो तो सूखा पत्ता था
बम नहीं।
थरथराते होठो से
फिर से कोशिश की .
क्या ? तूने सुना?
मेरा मुख्य सवाल था ।
हां ,जब तेरी आँखों की बूंदे
मुझमे समा गयी ,
मेरा सवाल था -क्या होगा ?
वह बोली--
" फिर से बच्चे माँ से पूछेंगे -
''माँ पापा कब आयेंगे ?''
सुनकर मैंने उसे देखने की कोशिश की ,
आँखों में पानी का परदा था।
वह बोली ..
" सीमा के उस पार वाले बच्चे भी अपनी
माँ से यही सवाल करेंगे।
निस्तेज आँखें उसे घूर रही थीं ।
अनजाने डर से ,
हवा ने मुझे जोर से हिलाया,
पत्तों के साथ।
शायद मुझे अभी....
मै डरी नहीं ,आत्मा बोली ..
" अरे वह तो आराम से सो रहा है "
अपनी कुर्सी पर ।
झील अब जोर से हस रही थी मुझ पर ,
तब मैंने कुछ सोचा -
मेरा डर मर चुका था ,
हां हां ख़त्म करना है ,
ये खून की
होली हमेशा के लिए।
--नंदिनी पाटिल
--नंदिनी पाटिल
सीमा के उस पार वाले बच्चे भी अपनी
ReplyDeleteमाँ से यही सवाल करेंगे ..निस्तेज आँखें उसे घूर रही थीं ..
अनजाने डर से ..very impressive creation.many congartulations
काले पन्ने पर उकेरे गये सफेद अक्षर, उस खौफ़ को भी जीवंत बना रहा है.
ReplyDeleteराजेश
Winderful Start. Welcome and my best wishes
ReplyDeleteकलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
bahut he acchi rachna hai aapki..dil ko chu gayi..blog jagat main aapka swagat hai..
ReplyDeleteआपका स्वागत है उम्मीद है कि अच्छी रचनाएं भविष्य में भी उमड़ती रहेंगी।
ReplyDeleteहां हां ख़त्म करना है ..ये ..खून की
ReplyDeleteहोली हमेशा के लिए
*VERY GOOD
PLEASE VISIT MY BLOG...........
"HEY PRABHU YEH TERAPANTH "
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी समस्त शुभकामनायें आपके साथ हैं…
ReplyDeleteबहुत ही सरलता से प्रकाश डाला है...बहुत ही अच्छा लिखा है...
ReplyDeleteजो दो बातों को एक एक साथ पिरोया है वो बहुत ही उत्तम है लिखते रहिये .......
अक्षय-मन
बहुत ही गहरा चिंतन, अच्छी कविता, अच्छी भावः
ReplyDeleteस्वागत है आप का
एक पत्ता गिरा ऊपर से ,
ReplyDeleteमै सकपका गयी , झील फिर से हँसी ..
अरे ..वो तो सूखा पत्ता था ,..बम नहीं ॥
अच्छी लगी कविता आपकी. मगर मेरे ख्याल से 'ख़त्म करनी है खून की होली' ज्यादा उपयुक्त होता. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.
bahut hi khoobsurat
ReplyDelete-------------"VISHAL"
नव वर्ष मंगल मय हो
ReplyDeleteआपका सहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
wahho achha likha hai...firstly first nav varsh ki nayi nayi shubhkamnayen.....
ReplyDeleteJai Ho Magalmay HO.....mere blog par swagat hai...
nice ..so finally you started blogg.. nice keep it up
ReplyDeletegoood! creative! congrats!
ReplyDeleteits a great thaught
ReplyDeleteTHE EXPRESSIONS REALLY COMES FROM THE CORE OF HEART,ITS SO BEAUTIFULLY EXPRESSED BY YOU, BUT THE MY QUESTIONS RELATED TO KASAB WITH REFERNCE TO JAMMU & KASHMIR AND NORTH EAST STATES STILL UNANSWERED BY YOU EVEN AFTER 5 MONTHS.KINDLY REPLY IF POSSIBLE,NAHI TO YAHI MANA JAYEGA KI JINDGI DO MUKHOTO ME RAHTE HAI.REGARDS,DANGAWAS
ReplyDeleteKINDLY APPROVE
ReplyDeleteNandin you are a true indian & an intelectual person. I'm happy that i read ur blogs bcause i like it, kuddos for for making this blog.
ReplyDeleteReally U R Great Indian...
ReplyDeleteI LOVE My COUNTRY..
JITNI TAAREEF KARU KAM HAI MAANTA HOOO, APKI LEKHNI ME DAMM HAI MAANTA HOOO.... NANDINI JI KYA KHOOOB LIKHA HIA AAPNE. JAHA TAK MERA MANNNA HAI AAPNE SAMAAJ SE JUDE HAR UN PAHLUWO KO APNE LEKH ME SAMAAHIT KIYA HAI. JO SAMAAJIK HI HAI.. GOOD KEEP IT UP DEAR NANDI JI. I ADORE UR HAND.... REGRADS ZIA
ReplyDeleteoh! my god mujhe to pata hi nahi tha ki meri frnd itani gud poems bhi bana leti hai....
ReplyDeletewell done!!!
all the best......
ahh !!
ReplyDeleterealy realy nice dear....
BEAUTIFULLY WRIITTEN
keep it up , god bless u
PROUD TO BE INDIAN......
http://img1.imagehousing.com/1/f7c58c5bb4c029afef3b3089b5264aa8.jpg
ReplyDeletelagta hai ab kuch hi Indian rest hai, keep it up,
ReplyDeletegod bless u
it niceeeeeeeeeeee sayyyyyyyyyyyyyy
ReplyDeleteMuze Lagta hai kasab ne Tai Hotel par Fireing karane ke alava Mantralay me kar diya hota to bahut achha hota hume bhrashtachari netao se chutkara to mil jata .......
ReplyDeletenadini u always write so so beautifuli.....
ReplyDeletevery very nice.......
ALL D BEST DEAR........KEEP IT UP..
GOD BLESS U
U R TRUE INDIAN......
sorry may ne app ka blog nahi dekha tha.
ReplyDeleteapp bahut hi sundar our acha likhe tee hi app ko mere subhe kamna dear
Bahut Hi acchi kavita likhi hen apne or padh kar or jan kar bahut accha laga I proud U Di
ReplyDeletemem aap ne apni profile mai bahut kuch likha hai sara ka sara desh ke yeng logo ko padkar apki rah pe chalana chaiye mai apki profilr ke bare mai sabhi acche logo ko batauanga.....
ReplyDeletemy sweety.......
ReplyDeleteबचपन में जब भी
ReplyDeleteआसमान के सीने में
हेलीकाप्टर या हवाई जहाज
जिसकी दहाड़ती आवाज
लगती गुंजने
गली में जमा हो जाते
बच्चे, जवान और बूढ़े
लगते आसमान को निहारने
जैसे ही किसी की पड़ती नजर
उठती उॅंगली
गुंजने लग जाती किलकारी
और उठ जाती कई उॅंगलियाँ.
आज भी...
मेरे घर के छत ऊपर से
गुजरता है हवाई जहाज
आती है हेलीकाप्टर की आवाज
लेकिन नहीं निकलते
बच्चे, जवान और बूढ़े
न ही गुंजती है किलकारी
न उठती है उॅंगलियाँ
वरन्
बच्चे दुबक जाते हैं
अपनी माँ की गोद में
माँ सहम जाती है डर से,
पिता का दिल दहलता है
अनजानी आशंका से
बूढ़ों की आँखें पथरा जाती है
दहशत से.
सबके सब
जान लेते हैं
बिना बताए ही...
कि फिर कहीं चली है गोली
फटा है कोई बम
और चिथड़ों के रूप में
फिर बिखरी है ला्शें
फिर उजड़ी है कोई माँग
यतीम हुआ है कोई बच्चा
या सूनी हुई है
किसी माँ की गोद.
कोई भी तो नहीं चाहता
कि भरे उड़ान
कोई हेलीकॉप्टर
हवाई जहाज
उसके घर की
छत के ऊपर से...
aapki kavita me ek roshni h..
ReplyDeletelakin ye baaat avi kuh logo ko sunne h...
jis din sab sun lenge ..
us din sab anant hoga ..
or bhart se bharstachar ka ant hoga....
aapki kavita me ek roshni h..
ReplyDeletelakin ye baaat avi kuh logo ko sunne h...
jis din sab sun lenge ..
us din sab anant hoga ..
or bhart se bharstachar ka ant hoga....
bahut he acchi rachna hai aapki..dil ko chu gayi
ReplyDeletevery Nice
bahut he acchi rachna hai aapki.
ReplyDeleteVery Nice
Nandni
bahut he acchi rachna hai aapki.
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