नंदन-वन की नंदिनी

नंदन-वन की नंदिनी

Tuesday, June 16, 2009

क्षमा करें गाँधी हमें ....

गाँधी की आखे मुझे घूर  रही थी ...
जब मै नए सदी का हवाला दे रही थी.....

किताब बंद किया अपने नए विचारो और आखो के साथ ...
विचार मेरे गुलाम है ,नए सदी के हाथ .....

नए सदी का पाठ है - आतंकवाद का ...
चरखा  यहाँ चलता है,घोटाले घोटालो का.....

धूर्तता की जीत है ,नैतिकता की हार ,
लाचारी की चमडी है ,करो जयजयकार....


सत्ता की है आरती यहाँ,  पूजा है कुर्सी की....
प्रसाद है पैसोका , आशीर्वाद मोर्चे , हड़तालों  की....


पंडित मुल्ला दो हथियार यहाँ, पाठ  यहाँ पर दंगल का......
चरखा यहाँ चलता है , घोटाले घोटालो का.......


कदम चूमती जीत यहाँ ,नई सदी के ..कौरवों  की ....
इज्ज़त  यहाँ लुटती  है, मूल्य  और मर्यादा की .....


नई  सदी में चिंतन है, शपथ कैसे ले झूठ  की ...
नई  सदी में मनन  है, प्रतिज्ञा  कैसे ले फूट  की ..


शिकवा  करे किससे ? जब बाड़ खाए खेत  को ...
आज़ाद  भारत में  रोज  देखते ज़िंदा लाश, ज़िंदा  मौत  को ...


क्षमा करें  गाँधी हमें  ....
नई  सदी में  इंतज़ार  है आपका ...
चरखा  यहाँ चल रहा है  घोटाले- घोटालो का..


-- नंदिनी  पाटिल