बिखरे हुए विचारो को
शब्दों में जोड़ना था
शब्दों में जोड़कर
और एक कविता बुननी थी
पापा को देखा हाथ में रिमोट था ...
एक मिनट में दस चॅनल बदले
आतंकवादियो के साथ साथ नेता पर
भी रिमोट फेका ...
माँ ज़ोर से चिल्लाई --
ये क्या किया आपने ?
{k} वाले सीरियल से उनको भी रोना था .....
छोटा भाई भी गौर से देख रहा था ...
वैपर गन के साथ कुछ लोग खड़े थे
उनके चेहरे पर काले कपडे भी थे
उनके चेहरे पर काले कपडे भी थे
और ..
पुलिस वाले भी बड़े बड़े थे ....
वो बोला ...
मुझे ये खिलौना दो ....
मैंने कलम के साथ गर्दन घुमाके पूछा ..
कौन सा वाला ...?
दोनों .......
उसकी मासूम उंगलिया .....उन आदमियों और गन पर थी
मेरी आखे .....
अगले आदेश के इंतजार में खड़ी पुलिस पर भी थी ...
मेरी कलम लड़खडाई
कविता के शब्द तिलमिला उठे ....
हां .... हां ...ये खिलोने तो है ......
सवाल था .........किसके ॥?
अब
मैंने कलम को मजबूती से उठा लिया था ....
क्योंकि ..
फिर से विचोरो को जोड़ना था .....
और एक कविता बुननी थी ....
हां , और एक कविता बुननी थी
मेरे साथ साथ आप सब को भी जगना था
नंदिनी पाटिल