घनी बारिश थी,टूटी छतरी थी ,
फटी चप्पलें जोड़ते हुए वह मैदान में चिपका था..
हाथ में झंडे थे ,बदन पर फटे कपडे ....
सामने गाँधी का पुतला खड़ा था..
पुतले के आगे एक बड़ा नेता, उसके सामने उसकी ही भीड़ .....
सबके चेहरे पर चिंता थी ,
बहुत सारा आवेश भी था ,
राज्य की स्थिति से बेहद उत्तेजित थे,
तालियों के साथ एक आकलन निकला ,
पर भाषियों को प्रदेश से जल्द ही भगाना होगा .....
नहीं तो स्तिथि गंभीर बनेगी ,
महिला की ओर देखते उसने जोर से घोषणा दी.....
हमारा स्वतंत्र राज्य होना ही चाहिए ....
कोई पर-प्रांतीय नहीं टिकेगा ... नहीं टिकेगा.....
मगर प्रश्न यह था......
किसी की बेटी उस राज्य की बहू थी
उस प्रदेश की बहू इसकी बेटी थी ,
वह कुली था ,वह मजदूर था ,
वह रिक्शावाला था, वह सफाई-वाला था ,
वह कारकुन था , वह अधिकारी था ,
वह संतरी था , वह मंत्री था ,
वह गुंडा था ,और वह उस भीड़ का हिस्सा था ,
अंत में उसने निर्णय लिया ....
पुतले जलाओ , उनके झंडे जलाओ ,
बसों में आग लगाओ ,दुकानों में ताले मारो
भाषावाद , प्रांतवाद में हमें लड़ना है .....हमें लड़ना है..........
टूटी चप्पले हाथ में लेकर वह भी चिल्लाया ,
हमें लड़ना है ....हमें लड़ना है........
शराब की एक बोतल ...कुछ रुपये ..
उस की शाम आज कुछ गजब थी ...
लाठी डंडे बहुत बरसे ,अब वह पूरा नंगा था,
दूसरे राज्य से बेटी ने फोन किया
क्या हुआ बापू ? मै यहाँ बहुत खुश हूँ ...
वह अधमरा सा खडा था..
सभा के समापन पर,
उनकी ललकार थी.........
शहर ,राज्य में एक और दंगा पैदा करो ..
ताकि धर्म ,प्रान्त, भाषा के संकट पर ,
गरमा गरम माहौल बन जाये ..
उसने फोन पटका ,,,,,,जोरसे चिल्लाया .......
मै भारतीय हूँ ..
मै हिन्दुस्तानी हूँ...
नंदिनी पाटिल ..
My Dear Sister, आपने इतनी सुंदर कविता लिखी हैं की मन गद गद हो गया ......आज हम आपके ब्लॉग को पढ़कर इतना प्रफूलित हुए जिसका वर्णन हम शब्दों से नहीं कर सकते हैं.....ब्लॉग प़र तो सबलोग किस्से कहानी लिखते हैं और मैंने यह पहली ब्लॉग देखी हैं जिस प़र देश भक्ति की बहुत ही सुंदर कविता आपने लिखी हैं ........आपको मेरी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाये हमेशा इसी तरह लिखा कीजिये ......My dear sister you really great ...जय हिंद !!!!!!!
ReplyDeletenice kavita . but dont u think that bez of this poeam some people are aware. and then they think about country. gud job nandini . all the best.........................
ReplyDeleteदीदी आप कुछ ऐसा लिखती हैं जो तारीफ और आलोचना से परे होता है.
ReplyDelete"दूसरे राज्य से बेटी ने फोन किया
क्या हुआ बापू ? मै यहाँ बहुत खुश हूँ ..."
बहुत खुबसूरत.
its brilliant depiction of unwanted and unwarranted change in our society by "" choot-bhaiye neta's""". there is great need to tell them their place in society and negative effects on gen next just for petty pecuniary personal gains. i wish many more feather in your hat, regards DANGAWAS
ReplyDeleteI LOVE THIS POEM,,,,,,,,,,
ReplyDeleteI LIKE IT,,,,,,,,
I LOVE U,,,,,,,,,
Nandini ur poems are so inspirational n this poem is the good answer for Gr8 politicians of our Country...I Like this poem. Keep it up..
ReplyDeletesuper nandini,
ReplyDeletebig slap 2 politicians....
ye tum hi kar sakti ho zashi ki rani..
vry good
mahashtra, karnataka, n bhihar,,ka jo prantvad hai....
ReplyDeletenandini appne bahot accha prakash dala hai..
amm admi agar ye sanz jaye ki wo sirf ek sadhan hai....aur kuch nahi to ye...ashanti kabhi nahi phila payege....
great poem big solute 4r u dear...
बहुत खुबसूरत...
ReplyDelete"अलगाववाद पर वार है, एका का सन्देश,
ReplyDeleteदेश कि रग रग में बहे, कविता का आवेश. "
नंदिनी बहन आपकी भावनाएं उत्साह का संचार हैं. साधुवाद. जयहिंद.
\\rajya ki sthiti se behat bhavesh me tha
ReplyDeletetalion ke saath abhinanand hua
neta ka krundan hua
parbhashion per shabd bhajan hua
unke rakt se usaka manzan hua
usake liye usakee surkhiyan pyari thi
beti bhabhi maaa ye sab to bahut puranee thi
nai bivi usakee razneeti thi ,jisaka vah puzari tha
desprem ke naam per to vah bhikhari tha
usakee chhodo jo log usake saath the
ve to asal desh ki ghat the
unhe apne paraye ka bodh jyada tha
har aadme dusare ko bhagane per amada tha
ab unhe apne bete bhi sode ke liye rakhe the aur beti bhi
kuchh ye bhav he
Impressive post !
ReplyDeletejnaab bhaart or hindustaan do alg alg hbd he bhaart snvidhaan ki maanytaa prapt or hindustan snvidhaan men nhin he fir bhi deh ke aaj ke haalaat or gaandhiji ke vichaaon ki bebsi kaa vrnan jo pne kiyaa he voh itna aasaan nhin he bdhaayi he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletegrand salute to you sister
ReplyDeletelovely writing...... i m convinced by ur views
ReplyDeleteNandini ji i read your nicest poem again ALGAVVAAD, AND PRAISING NATIONALISM ...so nice i proud on you....
ReplyDeletegood poems nandini
ReplyDeleteshandar kavita............badhai aapko!!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत...
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसबके चेहरे पर चिंता थी ,
ReplyDeleteबहुत सारा आवेश भी था ,
राज्य की स्थिति से बेहद उत्तेजित थे,
तालियों के साथ एक आकलन निकला ,
पर भाषियों को प्रदेश से जल्द ही भगाना होगा .....
नहीं तो स्तिथि गंभीर बनेगी ,
महिला की ओर देखते उसने जोर से घोषणा दी.....
हमारा स्वतंत्र राज्य होना ही चाहिए ....
कोई पर-प्रांतीय नहीं टिकेगा ... नहीं टिकेगा.....
मगर प्रश्न यह था......
किसी की बेटी उस राज्य की बहू थी
Bohat khoob Nandini saheba bohat khoob
very Nice Yar
ReplyDeletevery Nice Dear ...........
ReplyDelete